आयकर (इनकम टैक्स) हर कामकाजी शख्स के जीवन से जुड़ा एक अहम पहलू है और एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद से नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. अगर आप जानना चाहते हैं कि नई कर व्यवस्था में क्या प्रावधान किए गए हैं और इसके बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आपको इन सब बातों को जानने की जरूरत हैः
व्यक्तिगत करदाताओं के लिए लागू नई टैक्स व्यवस्था का प्रस्ताव 2020 के बजट में किया गया था और वित्त वर्ष 2020-21 से यह लागू है. सरकार ने व्यक्तिगत करदाताओं को अपनी वित्तीय जरूरत के अनुसार नई या पुरानी कर व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया हुआ है. नई कर व्यवस्था में पहले के विकल्प की तुलना में टैक्स की दर कम है और यह कटौतियों (डिडक्शन) को हटाए जाने से होने वाले नुकसान की भरपाई करती है. वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में आयकर की दरों में और अधिक कटौती गई है और केंद्र सरकार इस बात की जोरदार हिमायत कर रही है कि लोग नई कर व्यवस्था को अपनाएं. अगर आप वेतनभोगी या पेंशनर हैं तो हर साल अपनी जरूरत के हिसाब से पुरानी या नई कर व्यवस्था में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं, बशर्ते आपको किसी व्यापार से किसी तरह की आय ना होती हो.
नई कर व्यवस्था के विभिन्न स्लैब पर लगने वाली कर की दर में बदलाव किया गया है जो नई कर व्यवस्था की सबसे अहम बातों में से एक है. एक अप्रैल, 2023 से लागू नई कर व्यवस्था पर लगने वाले नए टैक्स स्लैब इस प्रकार हैः
नई कर व्यवस्था के तहत आयकर के विभिन्न स्लैब | नई कर व्यवस्था के तहत आयकर की दरें |
0 से 3 लाख | 0 |
3 लाख से 6 लाख | 5% |
6 लाख से 9 लाख | 10% |
9 लाख से 12 लाख | 15% |
12 लाख से 15 लाख | 20% |
15 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी | 30% |
नई कर व्यवस्था में छूट की बुनियादी सीमा (बेसिक एग्जेम्शन लिमिट) को पुरानी कर व्यवस्था के 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है. इसी तरह नई कर व्यवस्था में पांच करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी पर लगने वाले सरचार्ज को 37 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है. इस प्रकार नई कर व्यवस्था के तहत दो करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी वालों को आयकर पर 25 फीसदी सरचार्ज का भुगतान करना होगा. इसके साथ ही अगर आप अपनी जरूरत के हिसाब से कर व्यवस्था को नहीं चुनते हैं तो नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट ऑप्शन के तौर पर देखा जाएगा. नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली छूट को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है. इस प्रकार अगर आपकी करदायी आय (टैक्सेबल इनकम) सात लाख रुपये से कम रहती है तो आपको नई कर व्यवस्था के तहत कोई कर नहीं देना होगा.
चूंकि हालिया बजट में बेसिक एग्जेम्शन लिमिट को बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है तो आपको शुरू में ही 2,500 रुपये की बचत हो जाएगी. इनके अतिरिक्त आप वेतन से होने वाली आमदनी पर 50,000 रुपये की बेसिक कटौती क्लेम कर सकते हैं. इसके अलावा टीयर-I एनपीएस अकाउंट पर नियोक्ता के अंशदान पर आप सेक्शन 80 CCD (2) के तहत कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. कुल-मिलाकर नई कर व्यवस्था के तहत एक वित्त वर्ष में आप अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के अधिकतम 10% कटौती का दावा कर सकते हैं.
दोनों कर व्यवस्थाओं में सबसे बड़ा अंतर ये है कि पुरानी कर व्यवस्था को चुनने वाले करदाता इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C और 80D के तहत मौजूद टैक्स कटौती का फायदा उठाना जारी रख सकते हैं. इसके साथ ही इस तरह के करदाता वेतन पर हाउस रेंट अलाउएंस, सेक्शन 80टीटीए/80टीटीबी के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन, एलटीसी कैश वाउचर स्कीम, प्रोफेशनल टैक्स, लीव ट्रेवल अलाउएंस और एंटरटेनमेंट अलाउएंस पर कर कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. 2020 में प्रस्तावित नई कर व्यवस्था के तहत 70 तरह की कटौतियों का लाभ नहीं मिलता है.
अब आपको नई कर व्यवस्था से जुड़ी हर तरह की जरूरी जानकारी मिल गई है, अब आपको अपने लिए सबसे उपयुक्त विकल्प को चुनना है और अपनी आयकर से जुड़ी कार्यवाही शुरू कर देनी है.
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