आपके कई तरह के वित्तीय लक्ष्य हो सकते हैं और जरूरी नहीं है कि सभी के लिए निवेश का एक ही तरीका कारगर साबित हो. कई तरह के म्यूचुअल फंड हैं जो विभिन्न तरह की जरूरतों, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश लक्ष्यों को पूरा करते हैं. डेट फंड ऐसी ही एक कैटेगरी है. जानिए कि डेट फंड क्या है और यह किस प्रकार काम करता है ताकि आप अपने-अपने लक्ष्यों के लिए इसमें निवेश कर पाएंगे.
डेट फंड एक म्यूचुअल फंड स्कीम है जो कॉरपोरेट बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स, सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट, कॉमर्शियल पेपर्स इत्यादि में निवेश करता है. आम तौर पर डेट फंड को कम जोखिम वाला निवेश कहा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि वे जिन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, उनकी मेच्योरिटी की अवधि और ब्याज दर निश्चित होती है. इसलिए स्वाभाविक रूप से डेट म्यूचुअल फंड पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं होता है और इनमें निवेश अपेक्षाकृत रूप से कम जोखिम भरा होता है. हालांकि, क्रेडिट रिस्क, ब्याज दर जैसे जोखिमों का असर इस पर पड़ सकता है.
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने डेट फंड्स को इन 16 प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया है:
अब आप निश्चित रूप से ये सोच रहे होंगे कि मैकाले अवधि क्या है. अगर परिभाषा पर गौर किया जाए तो इसका मतलब ये हुआ कि बॉन्ड के आंतरिक नकदी प्रवाह से बॉन्ड की मूल राशि के भुगतान में जो समय लगता है उसे मैकाले अवधि कहते हैं.
क्या ये बहुत जटिल है? चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उदाहरण किस दिन के लिए हैं.
मान लीजिए कि X बॉन्ड की फेस वैल्यू 2000 रुपये है और इसका कूपन रेट आठ फीसदी है तो सालाना ब्याज का भुगतान 160 रुपये (2000 रुपये का 8%) का होगा. इस मामले में बॉन्ड X की मैकाले अवधि 12.5 साल (2000/160) होगी.
डेट फंड निश्चित इनकम वाली सिक्योरिटी में निवेश करते हैं. इस तरह की सिक्योरिटीज की एक निश्चित ब्याज दर और मेच्योरिटी अवधि होती है जिसे इश्यू करने वाले निकाय द्वारा चुना जाता है. फिक्स्ड-इनकम वाली सिक्योरिटीज की क्रेडिट रेटिंग भी होती है जिससे इश्यूर के डिफॉल्ट से जुड़े जोखिम को समझने और उच्च गुणवत्ता वाले डेट इंस्ट्रुमेंट्स को चुनने में मदद मिलती है. रेटिंग जितनी ज्यादा होगी, इश्यूर के मूलधन और निवेश की गई रकम पर मिलने वाले ब्याज को लौटाने में डिफॉल्ट करने की आशंका उतनी ही कम होगी. डेट फंड्स भी ब्याज दरों में बदलावों को लेकर उतने ही संवेदनशील होते हैं. बॉन्ड की कीमत ब्याज दर से विपरीत रूप से जुड़ी होती है. ऐसे में जब ब्याज दर में इजाफा देखने को मिलता है तो बॉन्ड की कीमत में कमी आती है और जब ब्याज दर में कमी आती है तो बॉन्ड की कीमत में इजाफा देखने को मिलता है.
जब आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश के लिए डेट फंड्स को चुनते हैं तो आपको ये फायदे मिलते हैं:
तीन वर्ष से अधिक अवधि के निवेश पर इंडेक्सेशन के बाद डेट फंड पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. इंडेक्सेशन के जरिए आपके निवेश पर पड़ने वाले महंगाई के असर पर गौर किया जाता है. इससे आपकी टैक्स की राशि में कमी लाने में मदद मिलती है. दूसरी ओर, अगर आप तीन साल के भीतर निवेश की गई राशि को निकाल लेते हैं तो थोड़े समय में हुए फायदे को आपके इनकम में जोड़ दिया जाता है और उसके अनुसार टैक्स लगता है.
अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो आपके लिए डेट फंड एक उपयुक्त विकल्प है क्योंकि इस प्रकार के फंड में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलता है और ये स्थिर रिटर्न देने में सक्षम होते हैं. ये कम मेच्योरिटी अवधि की वजह से शॉर्ट-टर्म लक्ष्य के लिहाज से आदर्श होते हैं. इसके साथ-ही-साथ अगर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी की हिस्सेदारी बहुत अधिक है तो आप विविधीकरण को ध्यान में रखकर डेट फंड्स में निवेश कर सकते हैं.
अब जब आप ये जानते हैं कि डेट फंड क्या होता है तो आप निवेश से संबंधित बेहतर निर्णय कर सकते हैं और अपने लक्ष्य के हिसाब से उपयुक्त म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं. हालांकि, किसी भी फंड को चुनने से पहले उससे संबंधित जोखिम और उसके कॉस्ट को समझने के लिए हमेशा अच्छे से रिसर्च करना चाहिए. इससे आपके दिमाग को ज्यादा सुकून मिलेगा और उम्मीद के हिसाब से लक्ष्य तक पहुंचने का मौका बढ़ जाएगा.
निवेशकों को जागरूक करने की एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करेंः
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म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश करने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.
MUTUAL FUND INVESTMENTS ARE SUBJECT TO MARKET RISKS, READ ALL SCHEME RELATED DOCUMENTS CAREFULLY.